बड़े बड़े घड़ियाल पड़े
हैं
धन से मालामाल बड़े
है
लूट रहे हैं रोज देश
को
नित्य नए गणवेश में
|| गाँधी तेरे ......
चोरी या पाकिटमारी
है
घोटालों की बीमारी
है
बात बात में पैसा
चाहिए
सरकारी निवेश में ||
गाँधी तेरे ...
कोई आता धमका जाता
नेताओं को दिल्ली
भाता
निंदा फिर कड़ी ही
करते
संसद वाले केस में
|| गाँधी तेरे ......
राहजनी और हिंसा
होती
कड़वाहट के बिरवा बोती
ऊँच नीच भी छुआ छूत
भी
धर्म जाति के रेस
में || गांधी तेरे ......
भाषण और भड़ैती होती
दिन में रोज डकैती
होती
इज्जत की ही बोली लगती
दिल्ली के परिवेश
में || गांधी तेरे ......
हिन्दू मुस्लिम बात
पुरानी
पीकर घाट घाट का
पानी
नियम बनाते सांसद आकर
बापू तेरे भेष में
|| गाँधी तेरे ........
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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