तुनक के बबुआ मत बतियावा
सभकर ऐंठल छूटल ।
अइसने घरवा फूटल ।।
टुकुर टुकुर सभ देखी तोहके
निहुर निहुर नरियाई ।
मन मे फाड़ पडल बा जब जब
बनल बखरिया टूटल ॥ अइसने ......
बहुत बघरला आपन शान
थोड़ीके मे बौरइला ।
नाही बुझाइल नीक निहोरा
राउर भाग बा रूठल ॥ अइसने .......
बनला मे सभ भाजी मारी
साय साय समुझाई ।
भर गइल बा पाप के घरिया
सगरों मची उथल पुथल ॥ अइसने ....
सबका फटल मे उंगरी डालल
सबका के चमकावल ।
जब जब नेकी दूर पराइल
भर दिन घरनी सूतल ॥ अइसने ......
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी