Thursday 25 June 2015

:अइसने घरवा:

तुनक के बबुआ मत बतियावा
सभकर ऐंठल छूटल ।
अइसने घरवा फूटल ।।

टुकुर टुकुर सभ देखी तोहके
निहुर निहुर नरियाई ।
मन मे फाड़ पडल बा जब जब
बनल बखरिया टूटल ॥ अइसने ......

बहुत बघरला आपन शान
थोड़ीके मे बौरइला ।
नाही बुझाइल नीक निहोरा
राउर भाग बा रूठल ॥ अइसने .......

बनला मे सभ भाजी मारी  
साय साय समुझाई ।
भर गइल बा पाप के घरिया
सगरों मची उथल पुथल ॥ अइसने ....

सबका फटल मे उंगरी डालल
सबका के चमकावल ।
जब जब नेकी दूर पराइल
भर दिन घरनी सूतल ॥ अइसने ......


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

Wednesday 24 June 2015

: इमेज क चक्कर :

दूसरा के दुख न बुझाला,
                     गुड़ से नीमन शक्कर बा ।
                     सभ इमेज के चक्कर बा॥

गुजर गइला पे नीमन लागे
ई इहवा के नीति बाटे  ।
कोस कोस के थाकल जबले
मुह चटला के रीति बाटे ॥

                  फाटल लुगरी मसकत जाला
                  लोगवा कहेलन फक्कड़ बा ॥ सभ ....

कुहूंकत कंहरत जीये लगलन
कहिन नियति के लेखा ह ।
ठिठुर ठिठुर के जाड़ बीतइहै
बनल हाथ के रेखा  ह ।

                 घर दुवरा बा कुल्हि फुटपाथवे
                 बनत लाल बुझक्कड़  बा ॥ सभ .......

घरे घिन्नाने लईकन से
झुग्गी मे उठावें  गोदी ।
पनीर से नीचे पचत नईखे
नुक्कड़ पे खइलन बोदी ।

                 सभका भईया बबुआ बोलल
                 चुनाव जीते के मंतर बा ॥ सभ .....


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी