इकलौता पंजीकृत नेता
जबसे बनल पब्लिक क चहेता ।
जनता हारी , हरदम हारेले
नेतवे बनिहे सर्व विजेता ॥
सरापल समाज क फरमाइस , केहर बिकास के आशा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा बबुआ ॥
जाति धरम के डफली बजाई
सभ केहु आपन पचरा गाई
मुहजोरन से हथजोरीया बा
एही तरे उ समाज बनाई
॥
करुवा तेल लगल बा जब तक , इहे रही भाषा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा
बबुआ ॥
अझुराइल कुल्ह ममिला आई
पंचइती मे बईठ बुझाई
समाजवाद के नईकी रंगत
झम झम कईके झाल बजाई ॥
बाउर मन जब ले न जागी , सगरों रही निराशा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा
बबुआ ॥
नेवता पठवल बड़की बात
संझही भगीहें छोड़ के साथ
चौथाई पर कब्जा बाटे
पूरा खातिर बौराइल जात ॥
राग रंग सब छोड़ छाड़ के , फिर गावा चौमासा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा
बबुआ ॥
लोभ छोभ पर केचुली मराल
बेसवाद बतकुचन फानल ।
चिचरी पारेला लूरो नईखे
जाँगर जाने कहाँ पराइल ।
‘बुद्धि के भसुर’ सुतल बा जबले, इहे चली तमाशा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा
बबुआ ॥
औंजाइल मन, मनई खीझल
कटुताई से चितवन बींधल
अब जुमला क सुनल सुनावल
ना कर पाई मन के शीतल ॥
टूके टूक करेज ब जबले , नाही चली शियापा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा बबुआ ॥
अक्सरहा रहिला न फोड़ी भाड़
सपना भइल रहरी के दाल ।
आलू पियाज़ क नउका रेकड़
मनईन क अब पूछी के हाल ॥
नगीचा आई इयादों पारा , सउसे होश तराशा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा
बबुआ ॥
अलता लागल गोड़ भुलाइल
मीना बिछुआ अब न भेटाई
पेटो पालल पहाड़ भइल जब
परब त्योहार केकरा सोहाई ॥
ढांकब तोपब कबले सभका , नाहीं चली अब झासा बबुआ ॥
नीमन गढ़ परिभाषा बबुआ ॥
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी