Monday 1 October 2018

हिया दहकाय गइल ना

पिया पीर देके अचके पराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

सिरे परल बा रोपनियाँ
नीक लागे ना चननियाँ
पिया सावन मे मन तरसाय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

कसहूँ पार हो रोपनियाँ
कइसे निबही सोहनियाँ
पिया असरा के दीयरी बुताय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

परल झुलुवा चारी ओर
मनवा छ्छ्नेला हिलोर
पिया आल्हर जियरा के जराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

• जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Wednesday 18 April 2018

हो हमरा बनल रही भौकाल


केनिओं थूकब केनियों चाटब
चलब कुटनियाँ चाल ।
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

दिन के रात, रात दिन बोलब
झूठ के भोरही गठरी खोलब
लूटब रहब निहाल ।
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

जात धरम के पाशा फेंकब
तकलीफ़े मे सभका देखब
बजत रही करताल
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

कुरसी के बस खेला खेलब
सभही के आफत मे ठेलब
होखी बाउर हाल
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥


·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी



Sunday 11 March 2018

नवके बरिस मे


पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

रतिया मे टीसत पपीहा क बोलिया
भोरहीं से कूहुंकेले सवती कोइलिया
अरे डाहन देहिया जरावे हो रामा 
नवके बरिस मे ॥

एकही बगिया मे अमवा महुववा
होत फजीरे रोज निकलेले सुहवा
ढरत चननियों झुलसावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

कइसे बताईं हम मनवा के बतिया
भरल उमिरिया मे भइल संसतिया
हियरा अगिन धधकावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी


Saturday 20 January 2018

चुनरिया ए बालम

तिकवेले भरि भरि नजरिया ए बालम
रंगब रउरे रंग मे चुनरिया ए बालम ॥

तोपले तोपाई न, लक़दक़ सेहरा
करबे निबाह जब लागल इ लहरा
निकलब जब तोहरी डहरिया ए बालम ॥
रंगब रउरे रंग मे चुनरिया ए बालम ॥
 
करके  करेज सभ उजरल महलिया
सून कई गउवाँ के साँकर गलिया
चलि अइली तोहरी दुवरिया ए बालम ॥
रंगब रउरे रंग मे चुनरिया ए बालम ॥

खनका के कँगना उड़ी जाई सुगना
अचके पसर जाई , लोर भरि अँगना
बिछी जब ललकी सेजरिया ए बालम ॥
रंगब रउरे रंग मे चुनरिया ए बालम ॥


·        जयशंकर प्रसाद द्विवेदी