पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥
रतिया मे टीसत पपीहा क बोलिया
भोरहीं से कूहुंकेले सवती कोइलिया
अरे डाहन देहिया जरावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥
एकही बगिया मे अमवा महुववा
होत फजीरे रोज निकलेले सुहवा
ढरत चननियों झुलसावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥
कइसे बताईं हम मनवा के बतिया
भरल उमिरिया मे भइल संसतिया
हियरा अगिन धधकावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥
पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥
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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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