Sunday 11 March 2018

नवके बरिस मे


पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

रतिया मे टीसत पपीहा क बोलिया
भोरहीं से कूहुंकेले सवती कोइलिया
अरे डाहन देहिया जरावे हो रामा 
नवके बरिस मे ॥

एकही बगिया मे अमवा महुववा
होत फजीरे रोज निकलेले सुहवा
ढरत चननियों झुलसावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

कइसे बताईं हम मनवा के बतिया
भरल उमिरिया मे भइल संसतिया
हियरा अगिन धधकावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥

पिया बिन ससुरा न भावे हो रामा
नवके बरिस मे ॥


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी


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