Thursday 25 June 2015

:अइसने घरवा:

तुनक के बबुआ मत बतियावा
सभकर ऐंठल छूटल ।
अइसने घरवा फूटल ।।

टुकुर टुकुर सभ देखी तोहके
निहुर निहुर नरियाई ।
मन मे फाड़ पडल बा जब जब
बनल बखरिया टूटल ॥ अइसने ......

बहुत बघरला आपन शान
थोड़ीके मे बौरइला ।
नाही बुझाइल नीक निहोरा
राउर भाग बा रूठल ॥ अइसने .......

बनला मे सभ भाजी मारी  
साय साय समुझाई ।
भर गइल बा पाप के घरिया
सगरों मची उथल पुथल ॥ अइसने ....

सबका फटल मे उंगरी डालल
सबका के चमकावल ।
जब जब नेकी दूर पराइल
भर दिन घरनी सूतल ॥ अइसने ......


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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