Wednesday 24 June 2015

: इमेज क चक्कर :

दूसरा के दुख न बुझाला,
                     गुड़ से नीमन शक्कर बा ।
                     सभ इमेज के चक्कर बा॥

गुजर गइला पे नीमन लागे
ई इहवा के नीति बाटे  ।
कोस कोस के थाकल जबले
मुह चटला के रीति बाटे ॥

                  फाटल लुगरी मसकत जाला
                  लोगवा कहेलन फक्कड़ बा ॥ सभ ....

कुहूंकत कंहरत जीये लगलन
कहिन नियति के लेखा ह ।
ठिठुर ठिठुर के जाड़ बीतइहै
बनल हाथ के रेखा  ह ।

                 घर दुवरा बा कुल्हि फुटपाथवे
                 बनत लाल बुझक्कड़  बा ॥ सभ .......

घरे घिन्नाने लईकन से
झुग्गी मे उठावें  गोदी ।
पनीर से नीचे पचत नईखे
नुक्कड़ पे खइलन बोदी ।

                 सभका भईया बबुआ बोलल
                 चुनाव जीते के मंतर बा ॥ सभ .....


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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