दूसरा के दुख न बुझाला,
गुड़ से नीमन शक्कर बा ।
सभ इमेज के चक्कर बा॥
गुजर गइला पे नीमन लागे
ई इहवा के नीति बाटे ।
कोस कोस के थाकल जबले
मुह चटला के रीति बाटे ॥
फाटल
लुगरी मसकत जाला
लोगवा
कहेलन फक्कड़ बा ॥ सभ ....
कुहूंकत कंहरत जीये लगलन
कहिन नियति के लेखा ह ।
ठिठुर ठिठुर के जाड़ बीतइहै
बनल हाथ के रेखा ह ।
घर
दुवरा बा कुल्हि फुटपाथवे
बनत
लाल बुझक्कड़ बा ॥ सभ .......
घरे घिन्नाने लईकन से
झुग्गी मे उठावें गोदी
।
पनीर से नीचे पचत नईखे
नुक्कड़ पे खइलन बोदी ।
सभका
भईया बबुआ बोलल
चुनाव
जीते के मंतर बा ॥ सभ .....
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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
राजनीति का चरित्र
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