Thursday 28 January 2016

आओ मिल गणतन्त्र मनाएँ

मौका है , राजघाट हो आयें
आओ मिल गणतन्त्र मनाएँ ।
वर्ष का पहला राष्ट्र दिवस है
चलो फिर कहीं तिरंगा फहराएँ ।
फिर तो बस रोज घोटाले हैं
मन से रीते दिल के काले हैं ।
नहीं बची शेष कोई आशा है
जीवन उत्सर्ग तमाशा है  ।
भाषा का मानो भान नहीं
बीरों के प्रति सम्मान नहीं ।
हम इन्हे विधाता माने बैठे
चलो ऐसों के कान उमेठें ।
शायद गणतन्त्र समझ जाएँ
कलुष तनिक ना मन मे लाएँ ।
आओ मिल गणतन्त्र मनाएँ ॥


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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