आन्हर घुमची
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घेंटा मिमोरत
तोड़त - जोड़त
आपन –आपन गावन
अपने अभिनन्दन
समझवनी के बेसुरा
सुर
बिना साज के
संगीत साधना .
झाड़ झंखाड़ से भरल
उबड़ खाबड़ बंजर जमीन
ओकर करेजा फारत
फेरु निकसत
कटइली झाड़
लरछे-लरछे लटकल पाकल
लाल टहक घुमची
अपने गुमाने आन्हर
दगहिल घुमची .
देखलो पर
अनदेखी करत
अनासे शान बघारत
बरियारी आँख देखावत
अनेरे तिकवत
बिखियायिल मुसुकी
मारत
औंधे मुँह
धूरी में सउनाइल
धुमची
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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