Monday 1 October 2018

हिया दहकाय गइल ना

पिया पीर देके अचके पराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

सिरे परल बा रोपनियाँ
नीक लागे ना चननियाँ
पिया सावन मे मन तरसाय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

कसहूँ पार हो रोपनियाँ
कइसे निबही सोहनियाँ
पिया असरा के दीयरी बुताय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

परल झुलुवा चारी ओर
मनवा छ्छ्नेला हिलोर
पिया आल्हर जियरा के जराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

• जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

No comments:

Post a Comment