आजु हमरा के नियरा बईठा के
बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह ।
दुनियाँ – समाज के रहन सभ
हमरा के विस्तार मे बतउनी ह ॥ बाबूजी बहुते कुछ....
राजनीति के रहतब – करतब
एनी ओनी के ताक - झाँक
बोली ठिठोली के मतलबों आ
नीक – निहोरा क आईना देखवनी ह ॥ बाबूजी बहुते कुछ....
लोक - परब के मर्यादा भी
बेमतलब के अक –बक मे
साँच झूठ आ सुभूमि कुभूमि
जीयला क मरमों बतउनी ह ॥ बाबूजी बहुते
कुछ...
घर दुअरा के सिकुड़न मे
रिस्ता निभवला के बिपत होला
हाड़ी पतरी औरो गाँव देहात मे
परसिद्ध मनईन के चरित्तर जनवनी ह ॥ बाबूजी बहुते कुछ....
एगो अलगा पहचान के मंतर
समवेत स्वरन के अनंतर से
मिजाज के नेह छोह क उड़ान
मित्तर संहतिया के माने गुनवनी ह ॥
बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह ॥
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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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