Sunday 13 December 2015

तू त रहबा यार


करिया उज्जर कूल्ही कईला
कालधन के अजगर भइला
तू का रहबा यार , तीहाड़ों खाली हौ
जईसन कईला व्यापार जाए के हाली हौ
सारा माल डकार गइला , तू का कहबा यार ।
अबकी त सरकार गइल , तू त  रहबा यार ।।

जर जमीन जोरू मे फंसला
खाली चीलम पी के खंसला
तू अब सहबा यार , स्वामी जी कै नजर पड़ल हौ
हचक के लिहला अहार ,जनतो के नजर गड़ल हौ
जनता के मूरख बनवला, अब का चरबा यार ।
अबकी त सरकार गइल , तू त  रहबा यार ।।

चढ़ा के तेवरी पन्ने फड़ला
दुनिया के अखियों मे चढ़ला
मट्ठा महबा यार , कोरट भी पीछे पड़ल हौ
अब के डाली हार , माथा पर जब दोष मढ़ल हौ 
न्यायालय के समने अब सब कुछ गहबा यार।
अबकी त सरकार गइल , तू त  रहबा यार ।।

मरघट के अब सपनों देखबा
चमचन के संग अपनों देखबा
तू त डहबा यार , जनतों अब सवाली हौ
बहुत भइल ब्यभिचार,धोवे के अब थाली हौ
पार्टियो के जागीर बनवला,अब का चहबा यार ।
अबकी त सरकार गइल , तू त  रहबा यार ।।




·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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