अनकस लागे लगल रिवाज
करकस बाजन बिगड़ल साज
पटवन मे जमीन धराइल
लुगरी से मरजाद ढकाइल ।
खड़हर दुवारा टूटल खटिया
कोरउरो चाउर नहीं मयस्सर
बीपत भइल भूख मिटाइल
लुगरी से मरजाद ढकाइल ।
भकठल चाउर चिंगुरल मनई
दाल भइल पंछोंछर बा
धसल गाल हड़री छितिराइल
लुगरी से मरजाद ढकाइल ।
ढेर गाँवन के बा ई हाल
बच्चा बच्चा भइल बेहाल
साक्षारता के बात भुलाइल
लुगरी से मरजाद ढकाइल ।
कूल्ही चरित्तर महगी लिहलस
चकमक लवकत बकुली धईलस
नीक दिनन के बाट जोहाइल
लुगरी से मरजाद ढकाइल ।
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
No comments:
Post a Comment