माटी के थाती छोड़ी जब से
पराइल बा ।
नीमन बबुआ तभिए से भकुयाइल
बा ॥
जिनगी के अहार न विचार परसार
टुटल घर आ दुआर बहत दुखे के बेयार ।
सोगहग नहीं कुछों कूल्हिए पिसाइल बा ॥ नीमन बबुआ.....
हसी ठठा गइल भूल , शूल हियरा मझार
मिटल जाता समूल नाही लउकत उजियार
तन मन धन तीनों कब से छितिराइल बा ॥ नीमन बबुआ....
गाल बस बजावत एनी ओनी समुझावत
थपरी के साथ मे डफलियों न पावत
गीत आ संगीत बिनु गवैयों खिसियाइल बा ॥ नीमन बबुआ......
लिखी बोली आपन भाषा
इहे सबही के आशा
मिली जुली सगरी जाने आवा एकरो के तराशा
रउवा नेह बिनु भोजपुरी पिछूयाइल बा ॥ नीमन बबुआ....
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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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