Tuesday 23 February 2016

भलाई न देखी

भले आदमी की भलाई न देखी
कभी जानकर वो कलाई न देखी ।  
खुले आम मुझको गलत बोलते हैं
कभी जिनकी मैंने लुगाई न देखी ।

आरोपी बना जिस खजाने का हूँ मै
उसकी अभी तक चिनाई न देखी ।
अकेला था मिलने नहीं कोई आया
जमाने की ऐसी रुसवाई न देखी ।

कांटे ही मिले मुझको हर डगर मे
कहीं भी गमो की दवाई न देखी  ।
निपटता भला कैसे उन जालिमो से
जिन आखों मे दया की छाईं न देखी ।

बहुत ही निपुण हैं अपनी कला मे
उन हाथो के जैसी सफाई न देखी ।
जकड़ा गया जिस भी पाश मे मै
उससे किसी की रिहाई न देखी ॥


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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