Friday 6 March 2015

: इंतजार :

नयनन मे रतियन की
चढ़ी खुमारी भी
दिल मे प्यार भरी बतियन की
हो चुकी बीमारी भी
उनके सर चढ़कर
बोलती है ।

उनकी शोख हंसी से
खिलने लगते हैं रतनार
उनके हर अंगो मे
उतार आई मादकता
इंतजार मे है उस लमहे के
जब मिलेगा उन्हे
बाहों का हार

दोनों ओर उठ रही झंझावत भी
शायद एक सी है
उनके दिले कैनवास भी
एक ही चित्र से चित्रित हैं
वही दर्शाते हैं
एक तनहा प्यार ।

वह तनहा प्यार
समेटे है अपने में
दर्दे सिहरन भरी मिठास
शायद हास और परिहास भी
लेकिन
केवल दर्द को ही शीने से लगाए
जी रहे हैं दोनों ।


·         जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 

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