अपना
देशवा के हाल का बताईं गुरू ।।
एकरा रक्षा खातिर केकरा लग्गे जाई गुरू।।
उनका रहतब से अइसन ई आग लागल
मौत बेचे
खातिर इंसान भइल पागल
रोजे अपहरण मरन होला खाली कुरसी बदे ।
अइसन केतने खलिस्तानन के नाम हम गिनाई गुरू
।।
उनके बुलट प्रूफ जाकिट मुबारक भइल
उ
निरीहन के लेकिन संहारक भइल
उ रोजे वाद चलावेलन खाली कुरसी बदे ।
अइसन केतने कमीसनन के नाम हम बताई गुरू ॥
इहाँ
से इज्जत अ नैतिकता के साया उठल
रथ के पहिया से मंदिर मस्जिद के माया उठल
एकरो मे केतनियों के जान गइल खाली कुरसी
बदे।
ओकरा जांच खातिर कवन आयोग बैठवाई गुरू ।।
उ
रोजे विरोधी बनावत
चलें
जोड़ तोड़ के गणित बैठवात चलें
रोजे कुकुर नियर लड़े खाली कुरसी बदे ।
अब नया
कवन दल हम बनवाईं गुरू ॥
एकरा रक्षा खातिर केकरा लग्गे जाई गुरू ॥
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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